मध्य प्रदेश में पहली बार आरोपी का डीएनए संरक्षित, नरसिंहगढ़ दुष्कर्म मामले में नया कदम - Arbharattimes

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मध्य प्रदेश में पहली बार आरोपी का डीएनए संरक्षित, नरसिंहगढ़ दुष्कर्म मामले में नया कदम


नरसिंहगढ़ : मध्य प्रदेश में पहली बार किसी आरोपी का डीएनए संरक्षित किया जा रहा है. अनसुलझे मामलों में डीएनए मिलान के लिए दुष्कर्म के एक आरोपी का डीएनए प्रिजर्व होगा. नरसिंहगढ़ में दिव्यांग मूकबधिर से दुष्कर्म के आरोपी रमेश खाती का डीएनए सैंपल भोपाल की रीजनल फॉरेंसिक साइंस लैब में जमा किया गया है. अमेरिका के एरिजोना केस की तर्ज पर यह पहल की गई है. एरिजोना में लैब में प्रिजर्व डीएनए से बच्ची से दुष्कर्म और हत्या का आरोपी 28 साल बाद पकड़ में आया था.

मध्य प्रदेश के नरसिंहगढ़ में मासूम से दुष्कर्म के केस में पुलिस ने एरिजोना के केस की स्टडी की है. उसी तर्ज पर आरोपी का डीएनए संरक्षित करने की पहल की है. अभी तक लैब में उन पीड़ितों के डीएनए प्रोफाइल रिजर्व करते हैं, जिनके केस अनसुलझे होते हैं. लेकिन यह पहला मौका है, जब किसी आरोपी का डीएनए प्रिजर्व किया गया है. मध्य प्रदेश में फिलहाल चार फॉरेंसिक लैब हैं, जोकि भोपाल, जबलपुर, इंदौर में स्थित हैं.

आदतन अपराधी है रमेश खाती

जिस आरोपी रमेश खाती का डीएनए प्रिजर्व किया गया है, वह मासूम से दुष्कर्म और हत्या का आदतन अपराधी है. रमेश ने पहले 2003 में बच्ची से दुष्कर्म किया, जिसे कोर्ट में सजा सुनाई. 2014 में वे जमानत पर बाहर आया तो 8 साल की मासूम से दुष्कर्म किया. इस केस में उसे फांसी की सजा मिली. लेकिन 2019 में वो बरी हो गया. इसके बाद अब नरसिंहगढ़ में 11 साल की मूकबधिर से रेप किया. मासूम बच्चियों के साथ दुष्कर्म के मामलों को देखते हुए आरोपी रमेश खाती का डीएनए प्रिजर्व किया गया है.

एरिजोना में भी ऐसा ही मामला सामने आया था

अमेरिका के एरिजोना में भी ऐसा ही मामला सामने आया था. डॉन ली स्वान मग्यार एक अमेरिकी महिला थी. मार्च 1973 में चैपिन, मिशिगन के एक जंगल में उसकी हत्या कर दी गई थी. माना जाता है कि उसे ओशो में एक शॉपिंग सेंटर से अगवा किया गया था, जिसकी बलात्कार के बाद गोली मारकर हत्या की गई. लंबे समय से पुलिस आरोपी की तलाश कर रही थी. लेकिन डीएनए विश्लेषण में नई तकनीक ने शियावासी काउंटी, मिशीगन पुलिस को 2001 में जेराल्ड लेरॉय विंगेअर्ट पर आरोप लगाने में सक्षम बनाया. हत्या के दृश्य पर एकत्र डीएनए से जिसकी पहचान हो सकी. 28 साल बाद नवंबर 2001 में आरोपी पर मुकदमा चलाया गया और दोषी ठहराते हुए उसे आजीवन कारावास की सजा सुनाई गई.